महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह पर शोध-पत्र | Research Paper on a great mathematician Vashisht Narayan

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह पर शोध-पत्र


परिचय:

वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में हुआ था। बचपन से ही वशिष्ठ जी की प्रतिभा अद्वितीय थी। उनके गणितीय ज्ञान और उनकी याददाश्त को देखकर शिक्षक और साथी हमेशा प्रभावित रहते थे। भारतीय गणितीय क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है, और उन्हें बिहार और भारत के महान गणितज्ञों में गिना जाता है। उनके शोध और सिद्धांतों ने गणितीय विज्ञान के क्षेत्र में कई नई दिशा प्रदान की।

Research Paper on a great mathematician Vashisht Narayan

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

वशिष्ठ नारायण सिंह का बचपन आर्थिक रूप से कठिन परिस्थितियों में बीता, लेकिन उनकी शिक्षा को लेकर परिवार का समर्पण अडिग था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में हुई, जहां उन्होंने अपनी अद्वितीय मेधा का प्रदर्शन किया। उनकी तीव्र स्मरण शक्ति और गणितीय योग्यता को देखकर शिक्षकों ने उन्हें उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहित किया।

वर्ष 1961 में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहां उनकी प्रतिभा और अधिक निखरी। पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी प्रतिभा का व्यापक प्रभाव पड़ा और उन्हें कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। यह उनके करियर का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

अमेरिका में अध्ययन और शोध:

वशिष्ठ नारायण सिंह ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में अपने प्रोफेसर जॉन एल. केली के निर्देशन में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनका शोध डिफरेंशियल जियोमेट्री और मैट्रिक्स थ्योरी के क्षेत्र में हुआ। उनके गणितीय सिद्धांतों और उनके शोधपत्रों को व्यापक स्तर पर सराहा गया। उन्होंने कई जटिल गणितीय समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया और "साइक्लिक वेक्टर स्पेस थ्योरी" पर भी महत्वपूर्ण कार्य किया।

अध्यापन और अनुसंधान में योगदान:

भारत लौटने के बाद, वशिष्ठ नारायण सिंह ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) कोलकाता और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर में अध्यापन कार्य किया। उनका गणितीय शोध और अध्यापन के प्रति गहरा जुड़ाव था। उनके द्वारा किए गए कार्यों में संख्या सिद्धांत (नंबर थ्योरी) और रेखीय बीजगणित (लीनियर अल्जेब्रा) के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान शामिल हैं। वह अपने छात्रों में गणित के प्रति रुचि और जुनून जाग्रत करते थे, और उनकी शिक्षा शैली अत्यंत प्रेरणादायक थी।

वशिष्ठ नारायण सिंह का मानसिक स्वास्थ्य और संघर्ष:

वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन कई प्रकार के संघर्षों से भरा था, जिनमें से सबसे बड़ा संघर्ष उनके मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा था। 1970 के दशक में उन्हें सिज़ोफ्रेनिया नामक मानसिक बीमारी का सामना करना पड़ा। इस मानसिक स्थिति के चलते उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन पर गहरा असर पड़ा। उनकी बीमारी के कारण उन्हें कई बार अस्पतालों में भर्ती होना पड़ा, और इस बीमारी के कारण उनका जीवन एकाकी और कष्टदायी हो गया।

हालांकि, उनके परिवार और उनके प्रशंसकों ने उनके कठिन समय में भी उनका साथ दिया, परंतु समाज और व्यवस्था की ओर से उन्हें आवश्यक समर्थन और सम्मान नहीं मिल सका। इस संघर्ष के कारण उन्होंने गणितीय अनुसंधान से भी दूरी बना ली थी।

वशिष्ठ नारायण सिंह के कार्यों का प्रभाव और मान्यता:

हालांकि, वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन संघर्षपूर्ण रहा, परंतु उनके गणितीय योगदान और उनकी प्रतिभा की सराहना वैश्विक स्तर पर की जाती है। उनके सिद्धांतों और गणितीय शोधों का उपयोग आज भी विभिन्न गणितीय और वैज्ञानिक अनुसंधानों में होता है। उनकी गणितीय उत्कृष्टता और उनकी जिजीविषा ने भारत के कई युवा गणितज्ञों और छात्रों को प्रेरित किया है। बिहार में उन्हें "महान गणितज्ञ" के रूप में सम्मानित किया गया है, और उनके नाम पर कई शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान उनके योगदान का सम्मान करते हैं।

निष्कर्ष:
वशिष्ठ नारायण सिंह एक महान गणितज्ञ थे, जिनका जीवन प्रेरणादायक होने के साथ-साथ संघर्षपूर्ण भी था। उनके जीवन से यह शिक्षा मिलती है कि प्रतिभा को निखारने के लिए संकल्प और समर्पण आवश्यक हैं। हालांकि उनके जीवन में कठिनाइयाँ थीं, फिर भी उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनके अनुसंधान और योगदान ने गणित के क्षेत्र में नई दिशा दी है और भारतीय गणितीय धरोहर को समृद्ध किया है।

1 Comments

  1. That's very very important ..thank u so much.😊

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