अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबन्धन
यह सौर ऊर्जा पर आधारित देशों का एक सहयोग संगठन है।
- शुभारम्भ;- भारत व फ़्रांस द्वारा 30 नवम्बर 2015 को पैरिस में किया गया।
- मुख्यालय ;- गुरुग्राम (हरियाणा )
- उद्घाटन;- जनवरी 2016 को।
यह संगठन कर्क व मकर रेखा के बीच स्थित राष्ट्रों को एक मंच पर लाएगा। ऐसे राष्ट्रों में धूप की उपलब्धता बहुलता में है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने इसे ऐतिहासिक करार दिया, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) वैश्विक ऊर्जा वृद्धि और विकास को लाभ पहुंचाने के लिए साझेदारी के माध्यम से सकारात्मक वैश्विक जलवायु कार्रवाई का एक उदाहरण बन गया है।
इस संबंध में राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने एक ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आज अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया. पिछले छह वर्षों में, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन वैश्विक ऊर्जा वृद्धि और विकास के लिए भागीदारी के माध्यम से सकारात्मक वैश्विक जलवायु कार्रवाई का एक उदाहरण बन गया है।
Historic decision by UN General Assembly today to grant Observer Status to International Solar Alliance
— PR/Amb T S Tirumurti (@ambtstirumurti) December 10, 2021
In 6 years, @isolaralliance has become example of positive global climate action through partnerships to benefit global energy growth & development
Thank all Member States 🙏 pic.twitter.com/2bO4EaesnH
108 देशों ने भाग लिया
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की चौथी आम सभा अक्टूबर में पहले आयोजित की गई थी। इसमें कुल 108 देशों ने हिस्सा लिया। इनमें 74 सदस्य देश, 34 पर्यवेक्षक देश, 23 भागीदार संगठन और 33 विशेष आमंत्रित संगठन शामिल थे।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के शुभारंभ की घोषणा
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के शुभारंभ की घोषणा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने नवंबर 2015 में पेरिस, फ्रांस में पार्टियों के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के 21 वें सत्र में की थी।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के बारे में
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन एक संधि आधारित अंतरसरकारी संगठन है। इसका प्राथमिक कार्य वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी की लागत को कम करके सौर विकास को उत्प्रेरित करना है। पेरिस में 2015 के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान भारत और फ्रांस द्वारा सह-स्थापित 'अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन' वैश्विक जलवायु नेता की भूमिका में भारत का बहुत महत्वपूर्ण प्रयास है।
'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' (OSOWOG) को लागू करने के लिए 'इंटरनेशनल सोलर एलायंस' नोडल एजेंसी है। इसका उद्देश्य एक विशिष्ट क्षेत्र में उत्पन्न सौर ऊर्जा को दूसरे क्षेत्र की बिजली की मांग को पूरा करने के लिए स्थानांतरित करना है।
भारत ने 'राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान' के गुरुग्राम परिसर में 'अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन' को 5 एकड़ भूमि आवंटित की है और 160 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। 'राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान' नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय (एमएनआरई) का एक स्वायत्त निकाय है और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में शीर्ष राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास संस्थान है।
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