भारत के राष्ट्रपति | संविधान के अनुच्छेद 52 से 62 | President of India - Article 52 - 62

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 से 62 तक राष्ट्रपति के पद, उनकी शक्तियों, चुनाव प्रक्रिया और उनसे संबंधित अन्य प्रावधानों का वर्णन किया गया है। राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रप्रमुख होते हैं और संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं। उनकी भूमिका भारतीय लोकतंत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। 

भारत के राष्ट्रपति - चुनाव, शक्तियां और कार्यकाल (अनुच्छेद 52-62)

आइये, इन अनुच्छेदों के माध्यम से राष्ट्रपति के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं:

अनुच्छेद 52 - राष्ट्रपति का पद
  • अनुच्छेद 52 में यह प्रावधान है कि भारत में एक राष्ट्रपति का पद होगा। राष्ट्रपति देश के सर्वोच्च संवैधानिक प्रमुख होते हैं और देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के प्रतीक माने जाते हैं।

अनुच्छेद 53 - कार्यकारी शक्तियाँ
  • अनुच्छेद 53 के अनुसार, भारत की कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित होती हैं। वे इन शक्तियों का प्रयोग संविधान और कानूनों के अधीन रहकर करते हैं। ये शक्तियाँ सीधे राष्ट्रपति द्वारा या उनके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा प्रयोग की जाती हैं।

अनुच्छेद 54 - राष्ट्रपति का चुनाव
  • अनुच्छेद 54 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया का प्रावधान है। राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।

अनुच्छेद 55 - चुनाव पद्धति
अनुच्छेद 55 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को वर्णित किया गया है:
  • राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote) के माध्यम से होता है।
  • इस पद्धति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रपति का चुनाव अधिकतम प्रतिनिधियों की सहमति से हो।

अनुच्छेद 56 - कार्यकाल
  • अनुच्छेद 56 के अनुसार, राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। कार्यकाल पूरा होने के बाद वे पुनः चुनाव के लिए पात्र होते हैं। इसके अलावा, इस्तीफे या पदच्युति की स्थिति में राष्ट्रपति का पद रिक्त हो सकता है।

अनुच्छेद 57 - पुनर्निर्वाचन की पात्रता
  • अनुच्छेद 57 के अनुसार, राष्ट्रपति बनने के लिए किसी व्यक्ति की संख्या पर कोई सीमा नहीं है। वह चाहे जितनी बार राष्ट्रपति पद के लिए पुनः चुनाव में भाग ले सकता है।

अनुच्छेद 58 - राष्ट्रपति पद के लिए पात्रता
अनुच्छेद 58 में राष्ट्रपति पद के लिए पात्रता की शर्तें दी गई हैं:
  • उम्मीदवार का भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है।
  • उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
  • उसे लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।
  • वह किसी लाभ के पद पर आसीन नहीं होना चाहिए (केंद्र या राज्य सरकार के अधीन)।

अनुच्छेद 59 - राष्ट्रपति के विशेषाधिकार
अनुच्छेद 59 के अनुसार, राष्ट्रपति के कुछ विशेषाधिकार होते हैं:
  • राष्ट्रपति को कोई अन्य लाभ का पद धारण करने की अनुमति नहीं है।
  • उन्हें सरकारी निवास का अधिकार है, जिसमें राष्ट्रपति भवन शामिल है।
  • राष्ट्रपति का वेतन और अन्य सुविधाएँ संसद द्वारा निर्धारित की जाती हैं।

अनुच्छेद 60 - शपथ ग्रहण
  • अनुच्छेद 60 के अनुसार, राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पहले शपथ लेते हैं। यह शपथ भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दिलाई जाती है और इसमें संविधान की रक्षा और सम्मान का संकल्प लिया जाता है।

अनुच्छेद 61 - महाभियोग द्वारा पदच्युति
  • अनुच्छेद 61 में राष्ट्रपति के पदच्युति की प्रक्रिया को महाभियोग (Impeachment) के माध्यम से वर्णित किया गया है। यदि राष्ट्रपति के विरुद्ध संविधान का उल्लंघन करने का आरोप हो, तो संसद के दोनों सदनों द्वारा महाभियोग चलाया जा सकता है। यह एक कठिन और विस्तृत प्रक्रिया होती है, जिसमें दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।

अनुच्छेद 62 - रिक्ति की पूर्ति
  • अनुच्छेद 62 के अनुसार, राष्ट्रपति पद रिक्त होने पर उस पद की पूर्ति के लिए चुनाव 6 महीने के भीतर कराया जाना चाहिए। यदि किसी कारण से राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाए, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालते हैं।

राष्ट्रपति के कार्य और शक्तियाँ
  1. कार्यकारी शक्तियाँ: राष्ट्रपति केंद्र सरकार के सभी कार्यकारी कार्यों को लागू करने का अधिकार रखते हैं।
  2. विधायी शक्तियाँ: राष्ट्रपति संसद के सत्रों का आह्वान करते हैं और दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हैं।
  3. न्यायिक शक्तियाँ: राष्ट्रपति को क्षमा, दया, राहत देने का अधिकार है।
  4. सामरिक शक्तियाँ: राष्ट्रपति सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर होते हैं और युद्ध तथा शांति का निर्णय कर सकते हैं।
  5. राजनयिक शक्तियाँ: वे विदेशी राष्ट्रों के राजदूतों की नियुक्ति करते हैं और विदेश नीति पर सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।

भारतीय राष्ट्रपति का पद देश के संवैधानिक ढांचे में केंद्रीय भूमिका निभाता है और लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने में सहायक होता है।

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