अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस हर साल 18 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को शिक्षित करना है कि प्रत्येक प्रवासी के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना बुनियादी जरूरतों में से एक है।
इस दिन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। संयुक्त राष्ट्र हर साल सरकारों, संगठनों और इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाले लोगों को आमंत्रित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस: प्रमुख बिंदु
- 2019 में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों या अपने जन्म के देश के अलावा किसी अन्य देश में रहने वाले लोगों की संख्या 272 मिलियन तक पहुंच गई।
- संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया में प्रवासी भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक 15.6 मिलियन से ज्यादा भारतीय विदेश में रहते हैं। वर्ष 2014 से अब तक 5000 से अधिक लोगों को बेहतर जीवन और सुरक्षा के लिए जीवन हानि का सामना करना पड़ा है।
- दुनिया भर में लगभग 31 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी एशिया में, 30 प्रतिशत यूरोप में, 26 प्रतिशत अमेरिका में, 10 प्रतिशत अफ्रीका में और 3 प्रतिशत ओशिनिया में हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस का इतिहास
सभी प्रवासी कामगारों और उनके परिवार के सदस्यों के अधिकारों के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 18 दिसंबर 1990 को अपनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 04 दिसंबर 2000 को प्रवासियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विश्व ने 18 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
अक्टूबर 2013 में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास और विकास पर उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से विकास में प्रवासन के योगदान को मान्यता देने पर एक घोषणा को अपनाया।
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